मनहूस कोठी भाग - 4




कहानी _ **मनहूस कोठी**

भाग _4

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

 सारी रात राम जी का पूरा एक ही कमरे में भय और आशंका के बीच रात भर जागकर बिताया ।
दरवाजे के बाहर अजीब अजीब डरावनी और भयावह आवाजे आती रही ।
कभी कई औरतों के रोने चिल्लाने और किसी के हंसने की आवाजे आती रही ।
सुबह सूरज की पहली किरण कोठी पर पड़ते ही सबने डरते डरते दरवाजा खोला ।बाहर पूरी शांति थी । सबने महिला और पुरुष का समूह बनाया । जहां भी जाना होता सब साथ साथ जाते ।
प्रभा देवी ने अपनी बहुओं से कहा जल्दी जल्दी सब तैयार होकर अपना अपना सामान बांध लो जितनी जल्दी हो सके हम सबको इस कोठी को छोड़ देना है।
राम जी ने एक ट्रक मंगा लिया कितना समान आया था उसे वापस ले जाने के लिए।रामजी ने कहा हमारे पहले मकान की चाबी अभी भी मेरे पास ही है।अच्छा हुआ हमने उस मकान को उसके मालिक को वापस नहीं किया।
आपने ठीक किया पापा बड़े बेटे दिव्यांश ने कहा ।अब हम इस कोठी को किसी को बेच देंगे ।भले ही करोड़ों की कोठी होगी लेकिन जान है तो जहान है।
सारा सामान ट्रक पर लदा गया ।सब लोग अपनी गाड़ी में बैठने ही जाने वाले थे की तभी दोनो बहुएं अपने अपने बेटो को खोजने लगी ।दोनो कही नही मिल रहे थे ।बड़ी बहू ने कहा _ मेरा बेटा अभी तो मेरे पास ही था मैं अपना बैग पैक कर रही थी तभी बिस्तर से वो गायब हो गया ।छोटी बहु ने भी वही बात दोहराई।
सब बहुत चिंतित हुए ।सब लोग किसी अनहोनी के भय से साथ साथ पूरी कोठी छान मारने लगे ।लेकिन दोनो बच्चे कही नही मिले ।
दोनो बहुएं रोने लगी ।उनका दिल जोर जोर जोर से धड़कने लगा था ।पता नही वे दोनो कहा और किस हाल में होंगे ।प्रभा देवी अपने दोनो पोतो के लिए पागल सी होगे थी ।राम जी और उनके दोनो बेटे भी अपने बेटो के लिए सोच सोच कर इधर उधर जल्दी जल्दी ढूंढने में लगे थे।
सब लोग पूरी कोठी छान कर बरामदे में आकर लकड़ी की कुर्सियों पर बैठ गए और सलाह मशवरा करने लगे ।अब क्या किया जाय ।
तभी सबको उनको दोनो बच्चो के रोने की आवाज सुनाई देने लगी ।ऐसा लगा जैसे दोनो कही पास में ही रो रहे हैं। सब लोग इधर उधर देखने लगे ।
मगर कही कुछ नही दिखा ।सब लोग हैरान परेशान थे। दोनो बहुए अपने बेटो को उनका नाम लेकर पुकारने लगी ।इन दोनो का कलेजा फटा जा रहा था।
मगर बच्चो की रोने की आवाज बंद हो गई ।तभी एक फुसफुसाहट भरी आवाज आई _ तुम्हारा बच्चा सुरक्षित है ।उन्हे कुछ नही होगा।लेकिन तुमलोग यहां से नही जा सकते तबतक हमारा काम नही कर देते।
वो किसी औरत की आवाज थी ।सब लोग भय से आपस में सिमटने लगे।तीनो औरते डर से सिहरने लगी।
राम जी ने हिम्मत जुटाकर कहा _ देखो तुम जो कोई भी हो पहले हमारे बच्चो को वापस कर दो फिर हमलोग तुम्हारा जो भीं काम हो गा उसके बारे में सोचेंगे।
नही पहले वादा करो तुम लोग हमारा काम किए बिना नही जाओगे।उधर से फिर आवाज आई ।
प्रभा देवी ने कहा _ किसी की जान लेने,लूटपाट या धोखा देने के अलावा जो भी काम तुम बोलोगी हमलोग करेंगे लेकिन हमारे बच्चो को जल्दी लौटा दो।
ऐसे नही पहले अपना सारा समान ट्रक से उतारो और लाकर अंदर कोठी में रखो वर्ना सारा सामान ट्रक सहित जला दूंगी और बच्चा भी नही लौटाऊंगी।उधर से आवाज आई ।
बड़ी बहू ने कहा _ ठीक है हमलोग तुम कुछ मत करना हमलोग सारा सामान वापस कोठी में लाते है ।हमारा बच्चा जल्दी वापस करो।
तभी दोनो बहुओं की गोद में दोनो बच्चे रोते हुए नजर आए।दोनो अपने अपने बच्चे को चूमने लगी।वो दोनो रोने लगी ।राम जी ,प्रभा देवी और उनके दोनो बेटे भी बच्चो को पाकर बहुत खुश हुए और राहत की सांस लिए।
थोड़ी ही देर में ट्रक से सारा समान उतार लिया गया और ट्रक को कुछ भाड़ा देकर वापस भेज दिया गया ।
राम जी ने कहा मैं एक तांत्रिक को जानता हूं । शमशान घाट में रहते है ।बहुत पहुंचे हुए तांत्रिक है ।उनकी मदद लेनी होगी ।वरना हमलोग न तो शांति से यहां रह पाएंगे और न यहां से कही जा पायेंगे।
तुम लोग खाना पीना बनाओ और अपना ख्याल रखना मैं उनको लेकर आता हूं ।इतना बोलकर वो कोठी से निकल गए ।
शमशान घाट में तांत्रिक कालीचरण के आश्रम में भक्तों को काफी भीड़ लगी हुई थी ।वहा मां काली और शंकर भगवान का मंदिर था सब लोग मंदिरों में पूजा भी कर रहे थे।
राम जी ने भी मंदिरों में जाकर मां काली और शंकर भगवान का दर्शन और पूजन किया ।
कालीचरण के सामने उनको प्रणाम कर बैठ गए ।जब उनकी बारी आई तो उन्होंने अपनी सारी समस्याएं उनको बताने लगे।
उनकी बात पूरी होने से पहले ही बाबा ने कहा _ कुछ मत बोलो मुझे सब मालूम पड़ गया है।तुम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस चुके हो बच्चे।तुम्हारी कोठी में बहुत बड़ा ब्रम्ह पिचास का वास है।वो बहुत खतरनाक और शक्ति शाली है ।साथ में और भी कई आत्माएं है ।तुम्हारे परिवार की जान संकट में है ।
बाबा ने अपने दो चेलों को कुछ समझाया और कहा जल्दी से सारा समान ले आओ और चलो मेरे साथ ।
बाबा के लिए एक गाड़ी आ गई उनका एक चेला उनके साथ बैठा और दूसरा राम जी के साथ गाड़ी में बैठ गया ।
तभी बाबा की गाड़ी के सामने एक काला बिल्ला अचानक पता नही कहा से आ गया।
बाबा ने कहा _ इतनी जल्दी तुम यहां भी पहुंच गए जाओ अपने स्थान पर मैं भी वही आ रहा हूं।फिर वही जोर आजमाइस कर लेना ।फिर उन्होंने उस पर थोड़ी भभूत फेंका वो तुरंत गायब हो गया ।
बाबा की गाड़ी जब कोठी के गेट पर पहुंची गेट अपने आप जोर जोर से पटकाने लगा ।जैसे कोई बहुत गुस्से में हो और गेट को जोर जोर से पटक रहा हो ।
बाबा ने गाड़ी से उतरकर कहा _ बहुत गुस्से में हो शांत हो जाओ और कोई मंत्र पढ़कर गेट पर फेंक दिया ।गेट का पटकाना बंद हो गया ।
जैसे ही सब लोग कोठी के अंदर प्रवेश किए जोर जोर से हवाएं बहने लगी ।ऐसा लगा जैसे सब कुछ उड़ा ले जायेगा।बाबा ने जोर से अपने चिमटे को हवा में घुमाया और कहा _ मुझसे जोर आजमाइस मत करो सैतान कही के वरना बोतल में बंद कर दूंगा फिर फड़फड़ाते रह जाओगे शांत हो जाओ।
हवा बिल्कुल शांत हो गई ।
जैसे प्रभा देवी और बाकी लोगों ने बाबा और राम जी को देखा _ सब भागते हुए उनके पास आए । वे सब काफी दहशत में थे ।
प्रभा ने बताया _ घर का सारा सामान कोई उठा उठा कर इधर उधर फेंक रहा था था। खाना भी बनाने नही दिया ।बार बार गैस का चूल्हा बुत जा रहा था।
चिंता मत करो बेटी अब कुछ नही होगा ।
मैं सब देख लूंगा । बाबा ने सबको एक एक काली मां का लॉकेट पहने को दिया और कहा _ लॉकेट गले से निकलने ना पाए।कोई भी आत्मा तुम लोगो के पास फटक भी नही पायेगी ।
चलो पहले पूरी कोठी दिखाओ उन्होने राम जी से कहा ।एक चेला को उनके परिवार के साथ रहने बोला उनके कमरे और रसोई घर की मंत्र से बांधकर कहा _ आप लोग निश्चिंत रहे मैने इन कमरों को बांध दिया है।कोई भी आत्मा यहां नही आयेगी।आप लोग खूब स्वादिष्ट भोजन बनाओ ।मैं भी खाऊंगा ।पांच थाली अलग से बना देना उन आत्माओं के लिए भी ।
राम जी और उनका बड़ा बेटा बाबा और उनका चेला पूरी कोठी को घूम घूम कर देखने लगे।
एक बड़े कमरे की तरफ देख कर बोले यही है उस पिशाच का स्थान ।फिर कोठी के पीछे नौकरों के कमरों को तरफ देखकर बोले यहां भी कई आत्मा है ।कुछ मेरे साथ भी है ।मगर वे हानिकारक नहीं है।इसलिए मैं उन्हे बांध नही रहा हूं।
फिर एक कुंआ के पास रुक कर बोले इस में भी एक आत्मा है ।
उनकी बाते सुनकर राम जी और उनका बेटा भय से सिहर रहे थे। उनका हाल देखकर बाबा ने कहा_ डरो मत सब मैं हूं कुछ नहीं होगा ।मुझ पर मां काली की कृपा है । आत्मा और जीव सभी उन्ही की शरण में रहते हैं।
जहा जहा बाबा ने चिन्हित किया सबको मंत्र पढ़कर भभूत से बांधते गए।
फिर वापस लौटकर परिवार वालो के पास आए और राम जी को बोले _देखो बच्चा कोठी पूरी तरह से मनहुशियत से भरी हुई है। यहां इंसानों के रहने लायक नहीं है ।आत्माओं ने अपना अड्डा बना लिया है ।इसलिए पहले पूरी कोठी को शुद्ध करना होगा ।फिर आत्माओं को यहां से निकालना होगा ।बाकी आत्माए तो कमजोर है लेकिन एक ब्रम्ह पिशाच है जो बड़ा खतरनाक और शक्ति शाली है फिर भी मैं उसको शांत कर बस में कर लुंगा ।
मैं जितने समान की लिस्ट दे रहा हूं ।उसको जल्दी मंगाओ।
आज आधी रात में अनुष्ठान करूंगा ।उससे पहले मकान में काफी तोड़ फोड़ करनी होगी ।नर्सरी से शमी का पेड़ ,तुलसी का पौधा और नीम का पेड़ मंगावाओ।
पूजा भंडार से पूजन सामग्री और एकदम शुद्ध गंगाजल मंगवाना है ।काफी मात्रा में ।
राम जी ने अपने बड़े बेटे से कहा बेटे पूजा भंडार को पूजा की लिस्ट भेजकर सारा सामान जल्द से जल्द भेजने बोलो उसे फोन पे से पेमेंट कर दो ।छोटे बेटे को बोले_ तुम नर्सरी से सारा पौधा भेजने को कहो और उसे भी वैसे ही पेमेंट कर दो ।समय बहुत कम है ।
फिर बाबा ने कहा _ मकान पर पेड़ो की छाया नही पड़नी चाहिए ।चूंकि वर्षो से कोठी बंद थी इसलिए चारो तरफ़ से पेड़ो की छाया कोठी पर पड़ रही है मजदूर मंगवाकर उनको कटवा दे।
इतनी बड़ी कोठी में अंगना बहुत छोटा है।इसलिए सूरज की धूप ओर शुद्ध हवा बहुत कम आ रही है । आत्माए खाली,अंधेरे और सुनसान जगह पर अपना अड्डा बनाती है।
इसलिए मकान ऐसा बनाना चाहिए जहा खुली धूप और हवा के आने जाने का पूरा रास्ता मिले ।
आप मजदूर लगाएंगे तो काफी समय लगेगा ।अभी अंगना को तोड़कर बड़ा बनाना है इसलिए थोड़ा पैसा ज्यादा खर्चा होगा लेकिन बुलडोजर मंगवाए और कोठी के बीच में आंगन को तोड़ कर बड़ा करे ताकि खूब धूप से और हवा आए।
राम जी ने खुद ही एक जानकार को फोन कर किराए पर बुलडोजर भेजने को कहा ।साथ ही एक ठेकेदार को अपनी कोठी के पेड़ो की छंटाई करने का काम आज ही करने को सौप दिया ।
बाबा ने कहा _ सारी आत्माए इसी कोठी के परिवार से संबंधित है ।इसलिए आप सबसे पहले वाले मालिक का पता लगाएं की उनका कोई रिश्तेदार जिंदा है तो उसे आज किसी तरह बुलाए ।साथ में नौकरों के परिवार का पता लगाएं और उनके भी रिश्तेदारों को बुलाए चाहे जैसे भी किसी भी कीमत पर ।
राम जी ने जिससे कोठी खरीदा था उससे बात कर किसी तरह पता लगा लिया कोठी का पहला मालिक का परिवार बगल के गांव में रहता है ।उन्होंने उसे सारा मामला बताकर आने को कहा ।साथ ही कोई नौकर को रिश्तेदार भी हो तो उसे भी साथ में लाने को कहा ।

तब तक खाना बन गया ।तीनो महिलाओ ने सबके लिए भोजन लगा दिया।बाबा ने कहा _ चार थाली अलग से सजाकर रख दो और पांचवी थाली सबसे अलग थोड़ा दूर पर रखो।
सबने वैसा ही किया ।
सबको यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ थाली में रखा हुआ भोजन अपने आप खाली होता जा रहा था जैसे कोई वहा बैठकर खा रहा हो ।
बाबा ने कहा देखो बच्चो आत्माए भी हमारे साथ भोजन कर रही है ।सबसे अलग जो थाली खाली हो रही है वो ब्रम्ह पिशाच की है ।सबने भोजन कर लिया है तो उनको मनाना आसान होगा ।लेकिन प्रेत आत्माओं को कोई भरोसा नही होता है ।बहुत चकमा देती है ।लेकिन आज सबका बस में करूंगा।
खाना खाने के बाद बाबा ने जैसे बोला था सारा काम फटाफट शुरू हो गया था ।
बुलडोजर का बोकट टूटकर मजदूरों के ऊपर गिरने ही वाला था की 
तभी बाबा ने चिल्लकार कहा_ खबरदार जो किसी को कोई नुकसान पहुंचाया तो मैं तुम्हे जलाकर भस्म कर दूंगा। अब तक जितना मनमानी किया
वो किया अब कोई मनमानी नहीं चलेगी।जाओ अपने स्थान पर ।इसके बाद बुलडोजर का बोकट नही टूटा और काम चलने लगा।

शेष अगले भाग _4 में 

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मो.९९५५५०९२८६




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2 Comments

Punam verma

06-Nov-2023 08:22 AM

Bahut hi darawani kahani hai

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Mohammed urooj khan

01-Nov-2023 01:02 PM

👍👍👍👍

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